
🌿 प्रस्तावना

कभी-कभी इंसान के मन में एक सवाल गूंजता है—
👉 “मैंने किसी का बुरा नहीं किया, हमेशा सबकी मदद की… तो फिर मेरी ज़िन्दगी इतनी मुश्किल क्यों है? मेरे साथ अच्छा कब होगा?”
यह सवाल सिर्फ़ आपका नहीं है, बल्कि हर उस इंसान का है जो भलाई में यकीन रखता है और फिर भी परेशानियों से घिर जाता है।
आज की यह कहानी इसी सवाल का जवाब देती है।
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🌿 कहानी की शुरुआत

यह कहानी है मोहन की।
मोहन का दिल बहुत साफ़ था।
उसने कभी किसी को तकलीफ़ नहीं दी,
हमेशा दूसरों की मदद की,
और जहाँ भी किसी को परेशानी में देखा, वह वहाँ खड़ा हो गया।
मोहल्ले के बच्चों की किताबें ख़रीद दी 📚
किसी बूढ़े को दवा दिला दी 💊
किसी गरीब के घर अनाज पहुँचा दिया 🍲
किसी मजदूर का बकाया खुद चुका दिया 💰
लोग उससे अक्सर कहते—
👉 “मोहन, तू सबका भला करता है, पर तेरे पास खुद कुछ नहीं है। क्या मिला तुझे इन सब से?”
मोहन मुस्कुराकर कहता—
🌸 “मुझे बदले की चाह नहीं, मेरा इनाम है मन का सुकून।”
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🌧 मुसीबतों का दौर

लेकिन समय कभी एक सा नहीं रहता।
धीरे-धीरे मोहन की ज़िन्दगी में अंधेरा छाने लगा।
उसका कारोबार डूब गया 💼❌
घर में खाने तक की तंगी हो गई 🏚️
और जिन लोगों की उसने मदद की थी, वही दूर जाने लगे।
मोहन सोचने लगा—
👉 “मैंने हमेशा सबका भला किया है, किसी का बुरा नहीं किया… तो मेरे साथ अच्छा कब होगा?”
कई रातें वह आसमान की ओर देखकर रोता और भगवान से पूछता—
🌌 “हे प्रभु, मैंने तो सबका भला किया… फिर मेरे साथ इतना बुरा क्यों?”
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🌞 कहानी का मोड़ (Turning Point)

समय बीतता गया… लेकिन अचानक उसके जीवन में बदलाव आया।
✨ वह बच्चा, जिसकी पढ़ाई के लिए मोहन ने पैसे दिए थे, अब डॉक्टर बन चुका था। उसने मोहन का इलाज किया और कहा—
👉 “आज मैं जो हूँ, आपकी वजह से हूँ।”
✨ वह दुकानदार, जिसे मोहन ने बिना ब्याज के उधार दिया था, अब बड़ा व्यापारी बन गया था। उसने मोहन को अपने व्यवसाय में हिस्सेदारी दी।
✨ वह मजदूर, जिसे कभी मोहन ने खाना खिलाया था, अब रोज़ उसके घर अनाज लेकर आने लगा।
✨ और वो बुजुर्ग, जिनकी सेवा मोहन करता था, अपने बेटे के साथ आए और बोले—
👉 “बेटा, तूने मुझे माँ जैसा मान दिया था, अब मैं तुझे बेटे जैसा मानकर मदद करूँगी।”
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🕊 सच्चाई का एहसास

मोहन की आँखों में आँसू आ गए।
उसने मन ही मन कहा—
👉 “हाँ, मैंने हमेशा सबका भला किया है। मुझे लगता था कि मेरे साथ अच्छा कब होगा… लेकिन अब समझ आया कि अच्छे कर्म कभी व्यर्थ नहीं जाते। उनका फल देर से मिलता है, मगर सही समय पर मिलता है।”
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🌸 सीख (Lesson)

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है—
अच्छे कर्मों का हिसाब भगवान के पास सुरक्षित रहता है।
उनका फल तुरंत नहीं मिलता, पर जब हमें सबसे ज़्यादा ज़रूरत होती है, तब वही कर्म सहारा बनकर खड़े होते हैं।
इसलिए कर्म करते रहो, फल की चिंता मत करो।
जैसा कहा गया है—
📿 “जैसा कर्म, वैसा फल।”
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🌷 निष्कर्ष

दोस्तों, अगर आपके मन में भी यही सवाल है कि “मैंने सबका भला किया है, तो मेरे साथ अच्छा कब होगा?”
तो जवाब यही है—
👉 आपके साथ अच्छा ज़रूर होगा।
बस भगवान ने उस अच्छे समय को आपके लिए सँभालकर रखा है।

